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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009

समाचार - शोध: सहायता करें

प्रश्न उठे उत्तर हैं शेष, पाठक करिए इन्हें अशेष. आत्मीय!
'परहित सरिस धरम नहीं भाई !
किसी का हित करने का ऐसा अवसर मिले की आपकी गाँठ से कौडी भी न जाए तो धर्म करने का यह अवसर कौन चूकना चाहेगा? आपके सामने एक ऐसा ही अवसर है।
आप जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर में पत्रकारिता एंव जनसंचार विभाग की द्वितीय वर्ष की छात्रा निहारिका श्रीवास्तव के कुछ प्रश्नों के उत्तर देकर उसके लघु शोध कार्य में सहायक हो सकते हैं। sनाताकोत्तर चतुर्थ सत्र में उसके लघु शोध पत्र का विषय है - 'बेव पत्रकारिता का बिकास एंव संभावनाये' । प्रश्न निम्न है--
प्रश्न १ : ई न्यूज पेपर क्या है?
प्रश्न 2 : पोर्टल क्या है?
प्रश्न 3 : डाॅट इन, डाॅट काम, डाॅट ओ। आर। जी। तथा अन्य सबंधित शब्दों के अर्थ एवं बेव पत्रकारिता में उनकी भूमिका?
प्रश्न 4 : भारत में बेव पत्रकारिता का प्रचलन कैसा है एंव मुख पोर्टल कौन कौन से है?
प्रश्न 5: वेब पत्रकारिता के विभिन्न स्वरूप एंव उनके समक्ष आने वाली चुनौतिया क्या है।
दिव्य नर्मदा के पाठक / दर्शक इन प्रश्नों के उत्तर देकर इस लधु शोध पत्र के लिए संजीवनी बूटी के समान सहायक सिद्ध हों। इन प्रश्नों के अतिरिक्त उक्त शोध पत्र से संबधित अन्य कोई जानकारी रखते है तो आप निहारिका को अपने ज्ञान से अनुगृहित करें।
निहारिका का ee मेल पता mailto:---naina7786@%3Cspan%20title=
डाक का पता : निहारिका श्रीवास्तव, जनसंचार एंव पत्रकारिता अध्ययन केन्द्र, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

4 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

इसमें तकनीकी ज्ञान ज्‍यादा है नहीं तो हम अवश्‍य सहायता करते।

Rajesh ने कहा…

Great info we expect more....



we heartily inviting to my blog http://funevil.blogspot.com/ Ready to accept pain of FUN

Arvind Gaurav ने कहा…

achhi jankari mili

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी |आज सौभाग्य से अपने ब्लॉग पर आपके दर्शन कर क्रतार्थ हुआ |आपके ब्लॉग पर आया लगभग सभी ब्लॉग खोले कहीं कुछ नया नहीं मिला | पहले ग्वालियर से एक पत्रिका निकलती थी ""वालंटियर " आज कल भी शायद एक पत्रिका निकलती है |वैसे भाई दूज पर या दिवाली पर हर जगह ही कायस्थ समाज अपनी अपनी पत्रिका निकलते है |
आपके वास्तु रंजिनी,मन रंजना विज्ञानं पर भी नया लिखा कुछ नहीं मिला कृपया लिखें और संपर्क बनाये रखें मैं मध्यप्रदेश के गुना का हूँ रिटायर्मेंट के बाद भी यह शौक पाले हुए हूँ ,रिटायर्मेंट के बाद भी नहीं बल्कि रिटायर्मेंट बाद ही