शोक के पल:
छिन्दवाड़ा. शनिचरा बाजार निवासी, नगर के प्रतिष्ठित राजा परिवार के प्रमुख श्री वीरेंद्र मोहन राजा का अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया. वे अपनी सरलता, मिलनसारिता और मददगारी प्रवृत्ति के लिए ख्यात थे. स्व. श्री लक्ष्मीनारायण राजा और स्व. प्रभावती राजा के ज्येष्ठ पुत्र वीरेंद्र के पुत्र निमिष मुल्ताई (बैतूल) में व्यवहार न्यायाधीश पदस्थ हैं. त्रयोदशी संस्कार ८ जनवरी को छिंदवाड़ा स्थित निवास पर होगा।


माँ स्व. प्रभावती जी, पत्नि साधना तथा पुत्र निमिष सहित वीरेन्द्र जी
स्मृति गीत:
नहीं भरोसा होता साथ न आते तुम
काश हमारे साथ सदा रह पाते तुम
पल-पल हमको याद बहुत तुम आते हो -
आँख खुले या मुंदे दिखे मुस्काते तुम.
*
सहज-सरल व्यक्तित्व प्रवाहित नदिया सा
बहा ह्रदय में सदा स्नेह का दरिया सा
श्वास-श्वास साधना करी संबंधों की-
प्रभा-लक्ष्मीनारायण का सपना सा
करुणा अरुणा नीना की राखी-सावन
महेश सुधीर प्रणय का नाता अपना सा
खटकी कुण्डी, लगे लौट घर आते तुम
*
'धीरू' गया कलपकर टूटे रोये थे
सम्हाल सहारा सबका बने, न खोये थे
स्वाति वतन विनती के आँसू पोंछ दिये
सबके नयनों में नव सपने बोये थे
सचि रूचि रानू सोनू के प्रिय मामाजी
जगे नहीं क्यों? अभी-अभी तो सोये थे
छोटे-बड़ों सभी को थे मन भाते तुम
*
कर नेहा अभिषेक न अब हँस पायेगी
आँगन में गौरैया कैसे गायेगी?
निमिष-मनीषा शीश झुकाये मौन खड़े
थाप न ढोलक की अब मन को भायेगी
मनवन्तर ही लगता ठिठक हो चुप
तुहिना कलिका संग कैसे मुस्कायेगी
सलिल-साधना को फिर गले लगते तुम
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