समाचार: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर गठित मुख़र्जी कमीशन की रिपोर्ट सामने लाओ
'नेताजी सुभाष चंद्र बोस औया आजाद हिंद सेना के अद्वितीय संघर्ष और बलिदान के कारण ही भारत को स्वतंत्रता मिली। पश्चिमी देशों द्वारा नेताजी को द्वितीय विश्व युद्ध का अपराधी घोषित कर देने और कांग्रेस दल द्वारा सत्ता के लोभ में इस नीति का समर्थन करने के कारण नेताजी को विवश होकर लापता रहना पड़ा तथा कांग्रेस सत्ता सुख भोगती रही। स्व जवाहर लाल नेहरू ने लोर्ड माउंटबेटन के दबाब में नेताजी को युद्ध अपराधी मानते हुए मिलते ही इंग्लैंड को सौंपने की गुप्त संधि पर हस्ताक्षर कर दिए तथा इसे जनता से छिपाया गया।
आजादी के बाद से ही नेताजी के लापता होने का सच सामने लाने की मांग होती रही है। इस सम्बन्ध में गठित पहले दो आयोगों पर सरकारी नीति के अनुरूप रपट तैयार करने के आरोपों के कारण मुखर्जी आयोग का गठन किया गया था। मुखर्जी आयोग ने पाया की जिस विमान की दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने का प्रचार किया गया था वह वास्तव में कभी उडा ही नहीं था। मुखर्जी आयोग की पूरी रपट आगामी आम चुनाव के पहले जनता के सामने लाई जाने की मांग करते हुए सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय विचार मंच के अत्याग्रह समिति संयोजक श्री सुरेन्द्र नाथ चित्रांशी, कानपूर तथा राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजीव 'सलिल' ने कहा है के अहिंसा कभी राष्ट्र-धर्म या राज-धर्म नहीं हो सकता। कर्न्ति में रक्तपात अनिवार्य होता है। अहिंसा से आज़ादी लेने का भ्रम फैला कर गांधीवादियों ने छल किया तथा सत्याग्रहों के नाम पर कानून तोड़ने की जिस प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया वही आज की समस्याओं का कारण है।
राष्ट्र पर आक्रमण, संवैधानिक सत्ता के विरुद्ध विप्लव, विदेशी शासन से संघर्ष आदि परिस्थतियों में हिंसा न केवल उचित अपितु अपरिहार्य भी होती है। नेताजी ने यही किया। राम भवन अयोध्या से प्राप्त ग्म्नामी बाबा के २८ बक्सों में मिले समान को जिला कोषालय फैजाबाद से निकालकरजनता के सामने रखा जाना आवश्यक है। तभी यह सुनिश्चित हो सकेगा की वे नेताजी थे या नहीं?
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'नेताजी सुभाष चंद्र बोस औया आजाद हिंद सेना के अद्वितीय संघर्ष और बलिदान के कारण ही भारत को स्वतंत्रता मिली। पश्चिमी देशों द्वारा नेताजी को द्वितीय विश्व युद्ध का अपराधी घोषित कर देने और कांग्रेस दल द्वारा सत्ता के लोभ में इस नीति का समर्थन करने के कारण नेताजी को विवश होकर लापता रहना पड़ा तथा कांग्रेस सत्ता सुख भोगती रही। स्व जवाहर लाल नेहरू ने लोर्ड माउंटबेटन के दबाब में नेताजी को युद्ध अपराधी मानते हुए मिलते ही इंग्लैंड को सौंपने की गुप्त संधि पर हस्ताक्षर कर दिए तथा इसे जनता से छिपाया गया।
आजादी के बाद से ही नेताजी के लापता होने का सच सामने लाने की मांग होती रही है। इस सम्बन्ध में गठित पहले दो आयोगों पर सरकारी नीति के अनुरूप रपट तैयार करने के आरोपों के कारण मुखर्जी आयोग का गठन किया गया था। मुखर्जी आयोग ने पाया की जिस विमान की दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने का प्रचार किया गया था वह वास्तव में कभी उडा ही नहीं था। मुखर्जी आयोग की पूरी रपट आगामी आम चुनाव के पहले जनता के सामने लाई जाने की मांग करते हुए सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय विचार मंच के अत्याग्रह समिति संयोजक श्री सुरेन्द्र नाथ चित्रांशी, कानपूर तथा राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजीव 'सलिल' ने कहा है के अहिंसा कभी राष्ट्र-धर्म या राज-धर्म नहीं हो सकता। कर्न्ति में रक्तपात अनिवार्य होता है। अहिंसा से आज़ादी लेने का भ्रम फैला कर गांधीवादियों ने छल किया तथा सत्याग्रहों के नाम पर कानून तोड़ने की जिस प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया वही आज की समस्याओं का कारण है।
राष्ट्र पर आक्रमण, संवैधानिक सत्ता के विरुद्ध विप्लव, विदेशी शासन से संघर्ष आदि परिस्थतियों में हिंसा न केवल उचित अपितु अपरिहार्य भी होती है। नेताजी ने यही किया। राम भवन अयोध्या से प्राप्त ग्म्नामी बाबा के २८ बक्सों में मिले समान को जिला कोषालय फैजाबाद से निकालकरजनता के सामने रखा जाना आवश्यक है। तभी यह सुनिश्चित हो सकेगा की वे नेताजी थे या नहीं?
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