menu

Drop Down MenusCSS Drop Down MenuPure CSS Dropdown Menu

शनिवार, 21 मार्च 2009

geet:

गीत

चलो हम सूरज उगायें

आचार्य संजीव 'सलिल'

चलो! हम सूरज उगायें...

सघन तम से क्यों डरें हम?
भीत होकर क्यों मरें हम?
मरुस्थल भी जी उठेंगे-
हरितिमा मिल हम उगायें....

विमल जल की सुनें कल-कल।
भुला दें स्वार्थों की किल-किल।
सत्य-शिव-सुंदर रचें हम-
सभी सब के काम आयें...

लाये क्या?, ले जायेंगे क्या?,
किसी के मन भाएंगे क्या?
सोच यह जीवन जियें हम।
हाथ-हाथों से मिलायें...

आत्म में विश्वात्म देखें।
हर जगह परमात्म लेखें।
छिपा है कंकर में शंकर।
देख हम मस्तक नवायें...

तिमिर में दीपक बनेंगे।
शून्य में भी सुनेंगे।
नाद अनहद गूँजता  जो
सुन 'सलिल' सबको सुनायें...

************************

2 टिप्‍पणियां:

Amit K Sagar ने कहा…

वाह! अति सुन्दर रचना. शुक्रिया.
--
असल में आपका कोई भी ब्लॉग बड़ी एकाग्रता के साथ पढने की नजाकत करता है! यह बड़ी खूबी है.
---
मेरे ब्लॉग पर अपनी अमूल्य राय देकर मुझे मार्गदर्शित करें.
http://mauj-e-sagar.blogspot.com
http://ultateer.blogspot.com
[अमित के सागर]

Rajat Narula ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है!